Class session

Bollywood Part I

Film still from Pyaasa, 1957.

May 14, 2020

In this session we will listen closely to some early Bollywood lyrics. All three lyrics were composed by Sahir Ludhianvi, an accomplished poet. Two are part of Guru Dutt’s landmark film Pyaasa (प्यासा, 1957), which tells the story of a struggling poet caught between the ideals he articulates in his compositions and the rapacious character of the literary industry. The film foregrounds several problems and anxieties that confronted Indians immediately after winning political independence. The third lyric is part of the B.R. Chopra’s film Gumrah (गुमराह, 1963), set around a love triangle; the film anticipates the plot structure and motifs of many subsequent dramas.

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Song: यह दुनिया अगर मिल भी जाए
Singer: मोहम्मद रफ़ी
Lyricist: साहिर लुधियानवी
Music: सचिन देव बर्मन
ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों  की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार  बन कर
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
यह दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है
जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
Song: आज सजन मोहे अंग लगा लो
Singer: गीता दत्त
Lyricist: साहिर लुधियानवी
Music: सचिन देव बर्मन

सखी री बिरहा के दुखड़े सह सह कर जब राधे बेसुध हो ली
तो इक दिन अपने मनमोहन से जा कर यूँ बोली

आज सजन मोहे अंग लगालो जनम सफ़ल हो जाये
हृदय की पीड़ा देह की अग्नि सब शीतल हो जाये

करूं लाख जतन मोरे मन की तपन मोरे तन की जलन नहीं जाये
कैसी लागी ये लगन कैसी जागी ये अगन जिया धीर धरन नहीं पाये
प्रेम सुधा … मोरे साँवरिया प्रेम सुधा इतनी बरसा दो जग जल थल हो जाये
आज सजन …

मोहे अपना बनालो मेरी बाँह पकड़ मैं हूँ जनम जनम की दासी
मेरी प्यास बुझा दो मनहर गिरिधर, प्यास बुझा दो मैं हूँ अन्तर्घट तक प्यासी
प्रेम सुधा … मोरे साँवरिया प्रेम सुधा इतनी बरसा दो जग जल थल हो जाये
आज सजन …

कई जुग से हैं जागे मोरे नैन अभागे कहीं जिया नहीं लागे बिन तोरे
सुख देखे नहीं आगे दुःख पीछे पीछे भागे जग सूना सूना लागे बिन तोरे
प्रेम सुधा, मोरे साँवरिया,

साँवरिया प्रेम सुधा इतनी बरसा दो जग जल थल हो जाये
आज सजन …

Song : चलो इक बार फिर से
Film : गुमराह
Lyrics : साहिर लुधियानवी (गुमराह)
Singer : महेन्द्र कपूर

चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनों

न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों से
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्म-कश का राज़ नज़रों से

तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माझी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साये हैं

तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा

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